RAKHI Saroj

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लेखनी प्रतियोगिता -06-Dec-2022

संसार की खोज

धुंधला सा नजर आता है अब 
मुझे तेरा संसार कहीं खो गया है। 
आसमान की खोज में मेरा संसार
पूछ रही हूं इस संसार से सवालों
का जवाब बस एक चुप्पी में बंद है।
तुम्हें नहीं है मालूम कुछ भी बस 
यही कह देना अब यहां काफी
लगता है, मेरी हर सोच को दबा
देना इस संसार का रोग है जाने 
क्यों आज भी मुझे इसकी खोज है।
जो बिक गया है चंद लालच की 
घड़ियों में आज मैं खोज रही हूं,
उस संसार को‌ जिस संसार के 
कीचड़ में फंस कर मैं खुद डूब 
गई हूं कैसी है यह संसार की 
खोज जहां मैं खुद को भूल गई हूं।
          राखी सरोज

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3 Comments

Punam verma

07-Dec-2022 08:41 AM

Very nice

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Abhinav ji

07-Dec-2022 07:42 AM

Nice

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Gunjan Kamal

06-Dec-2022 12:59 PM

बहुत खूब

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